The tricolor was hoisted in Srinagar
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Editorial: श्रीनगर में फहराया तिरंगा, भारत जोड़ो यात्रा हुई सफल

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The tricolor was hoisted in Srinagar

The tricolor was hoisted in Srinagar कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने आखिरकार वह मुकाम हासिल कर लिया, जब वह अपना अंतिम दिन भी पूरा कर चुकी है। इस यात्रा की शुरुआत में तमाम सवाल थे, एक यह भी था कि क्या राहुल गांधी इतनी लंबी यात्रा को खुद पूरा कर पाएंगे।

हालांकि उन्होंने कन्याकुमारी से लेकर श्रीनगर तक खुद इस यात्रा का नेतृत्व किया और देश की जनता, मीडिया से सरोकार रखते हुए अपनी बात कही। इस दौरान देश ने राहुल गांधी की सोच और उनकी विचारधारा से नजदीक से साक्षात्कार किया। कांग्रेस ने इसी दौरान अपना पूर्णकालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुना। एक तरह से यह यात्रा कांग्रेस के कायाकल्प का जरिया बनी है। हालांकि भारत जोड़ो यात्रा India Jodo Yatra जरूर संपन्न हो चुकी है, लेकिन कांग्रेस की यात्रा जारी है। अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यह यात्रा कितनी फलपूर्ण होगी यह भी साबित होगा।

 इससे पहले रविवार को राहुल गांधी ने श्रीनगर स्थित लाल चौक पर तिरंगा फहराया। Tricolor hoisted at Lal Chowk यह वही लाल चौक है, जहां कभी तिरंगे को हाथों में लेना भी अपराध था, लाल चौक में तिरंगे को फहराना देश के बाकी लोगों का सपना होता था। लेकिन अब उसी चौक में जहां तिरंगा फहराया गया है, वहीं हर जुबान पर देश की एकता और अखंडता के शब्द हैं। एकतरह से राहुल गांधी की यह यात्रा पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने में कामयाब रही है।

मामला कांग्रेस, भाजपा या फिर किसी अन्य दल का नहीं है, मामला राष्ट्रीयता का है। फिर यह राष्ट्रीयता कांग्रेस पैदा करे, भाजपा इसको उपजाए या फिर कोई अन्य दल। कश्मीर के लोगों ने इस यात्रा के प्रति गहरा समर्पण दिखाया है। घाटी में विपक्षी राजनीतिक दल पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस यात्रा का स्वागत किया है।

इन दलों के सामने घाटी में अस्तित्व का संकट है, लेकिन कांग्रेस के साथ आकर उन्होंने यह जताया है कि किस प्रकार वे भाजपा से मुकाबले की तैयारी में है। यह तब है, जब महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला, उमर फारूक Farooq Abdullah, Umar Farooq के स्वर विपरीत ही होते हैं। ऐसे में राहुल गांधी का यह सूत्र वाक्य  कि नफरत के बाजार में वे मोहब्बत की दुकान खोल रहे हैं, कश्मीर में आकर और भी साकार रूप लेती नजर आई है। घाटी के विपक्षी नेताओं का यह प्यार देश के प्रति नजर आ रहा है। कांग्रेस ने तो ट्वीट भी किया है कि असंभव सी लगने वाली भारत जोड़ो यात्रा इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुकी है।
 

हालांकि इस यात्रा को यूपी व अन्य दूसरे राज्यों में विपक्षी दलों की ओर से वह सहयोग नहीं मिला, जिसकी अपेक्षा उसकी ओर से की गई है। कांग्रेस विपक्ष के दलों को लेकर मोर्चा बनाने की जुगत में है, लेकिन इसकी कामयाबी मिलती नजर नहीं आ रही। कांग्रेस की यह सोच कि विपक्ष के दल उसके साथ आएं, अगर अंगीकार होती तो यह अगले वर्ष होने वाले लोकसभा और कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस एवं उसके मित्र दलों के लिए उपयोगी हो सकती है। कांग्रेस की ओर से तो समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों को न्योता भेजा गया था कि इस यात्रा में शामिल होकर सत्ता पक्ष के खिलाफ आवाज बनें।  

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े Mallikarjun Kharge की ओर से देश की 21 विपक्षी पार्टियों के नेताओं को श्रीनगर में समापन समारोह में शामिल होने का बुलावा दिया गया था। इस बुलावे का मंतव्य यह बताया गया है कि विपक्षी दल साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के विरोध में सशक्त गठजोड़ कायम करें। बीते वर्षों में देश की राजनीति में भारी परिवर्तन आया है। कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों की चुनौतियां बहुत बढ़ी हैं।
 

सवाल यही है कि क्या कांग्रेस के इस एकजुटता के आह्वान पर विपक्षी दल उसके मंच पर आएंगे। साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री एवं टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कांग्रेस की तत्कालीन अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। यह मुलाकात वह राय बनाने के लिए की गई थी, जिसमें ममता बनर्जी चाहती थीं कि कांग्रेस उनके नेतृत्व को स्वीकार करते हुए देश में भाजपा के खिलाफ मोर्चा बनाने में मदद करे।

हालांकि कांग्रेस ने इससे इंकार कर दिया था, इसकी वजह यही बताई गई कि ऐसा करने से कांग्रेस का अपना वर्चस्व खतरे में पड़ जाएगा। नए संदर्भों में कांग्रेस Congress ने खुद को पुनर्जीवित करने में कसर नहीं छोड़ी है। विपक्ष के दलों की भी यह जरूरत है कि वे एकजुटता दिखाएं, वे कांग्रेस से दूरी बनाएंगे तो यह उनकी एकल लड़ाई होगी। मौजूदा हालात ऐसे हैं कि विपक्ष को एकजुट होना ही होगा, फिर वह कांग्रेस के नेतृत्व में हो या फिर किसी अन्य गैरभाजपा दल के। भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस की मंद हो चुकी चमक लौटा दी है। 

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